चील और मुर्गी | Eagle And Hen | Online Motivational Stories for Kids
बरगद के पेड़ के ऊपर एक चील का घोंसला था। उसके अंडे को घोंसले में रखा गया था। उस पेड़ के नीचे एक मुर्गी का घोंसला था।
एक दिन अचानक तेज हवा चलने लगी। तेज हवा के कारण चील का अंडा, जो ऊपर के घोंसले में रखा गया था, नीचे गिर गया और वह सीधे मुर्गी के अंडे में मिल गया।
मुर्गी ने अपने अंडे की तरह उसकी देखभाल की। समय आने पर वह अंडा फूटा जिसमें से एक चील का बच्चा निकला। लेकिन मुर्गी उसे अपना बच्चा समझने लगी।
बच्चा समय के साथ मुर्गी के तरीकों के अनुसार बड़ा हुआ। चील का बच्चा खुद को मुर्गी मानता था। वह मुर्गियों की तरह ऊंची उड़ान भरता और उनकी तरह दौड़ता।
एक दिन उसने ऊपर देखा कि अन्य पक्षी आकाश की ऊंचाइयों की ओर बढ़ रहे हैं। फिर उसने अपनी मां से पूछा कि इतनी ऊंची उड़ान भरने वाली चिड़िया कौन है?
उसकी माँ मुर्गी ने उत्तर दिया, "वह चील है।"
"तो हम इतनी ऊंचाई तक क्यों नहीं उड़ सकते?" चील ने मुर्गी से फिर पूछा।
माँ ने उत्तर दिया, "क्योंकि हम मुर्गे हैं।"
यह कहानी हमें बताती है कि हमें अपने विचारों और सोच को ऊंचा करके काम करना है। तभी हम और अधिक ऊंचाईयों तक पहुंच सकते हैं।
अगर उस बाज के बच्चे ने दूसरों को देखकर ऊंची उड़ान भरने की कोशिश की, तो वह एक दिन ऊंचाइयों पर जरूर उड़ेगा। हमें सकारात्मक रहना होगा। इसलिए हमें भी अपनी सोच को ऊँचा रखते हुए काम करते रहना है। हमें एक न एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी।