Popatlal Ka Kutta | Online Hindi Moral Story for Kids - Easyshiksha

पोपटलाल का कुत्ता - Popatlal Ka Kutta | Hindi Moral Stories

एक दिन पोपटलाल गाँव की गलियों में घूम रहा था, उसने देखा की एक घर के बाहर एक कुत्ते का बच्चा कटोरे में खाना खा रहा है। वो कटोरा बहुत ही अनोखा था। उसने सोचा, “इस कटोरे की कीमत बाज़ार में बहुत ज्यादा होगी। लगता है इस घर के मालिक को इस कटोरे की कद्र नहीं जानते, इसलिए उसमे कुत्ते के पिल्लै को खाना खिला रहा है।”

उसने पास ही बैठे उस घर के मालिक से कहा, “भाई साहब! मुझे आपके कुत्ते के पिल्लै अच्छे लगे, मैं दोनों के लिए १००० रुपयों दूंगा। वैसे भी इस साधारण कुत्ते की क्या कीमत।”

वह आदमी बोला, “साहब! १००० बहुत कम हैं, हाँ मुझे आप 7००० अभी दे तो कुत्ते के दोनों पिल्लै आपके।”

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पोपटलाल ने कुछ मोलभाव करना चाह पर वो घर का मालिक नहीं माना। अनोखे कटोरे की लालच में पोपटलाल ने उसे 7००० रूपये दे भी डाले। पोपटलाल सोच रहा था की कटोरे की कीमत तो कम से कम उससे पांच गुने ज्यादा होगी।

कुत्ते के पिल्लो को ले जाते हुवे पोपटलाल ने अपना दाव खेला, “भाई साहब! अब जब पिल्लै मैंने खरीद ही लिया हैं, तो आप इस कटोरे का क्या करेंगे? ये भी मैं ५० में खरीद लेता हूँ।

घर का मालिक बोला, “नहीं साहब वो तो मैं नहीं बेचूंगा।”

पोपटलाल तो चकरा गया और पूछने लगा, “ऐसा क्यू?? क्या खास है इस कटोरे में?”

घर का मालिक बोला, “वो तो मुझे नहीं मालूम, पर ये मेरे लिए बहुत लकी हैं। पिछले पिछले महीने से मैंने जब से इस कटोरे में कुत्तों को खाना देना शुरू किया हैं, मैंने पन्द्रह कुत्तों बेच दी हैं।

Moral of the story

Moral: हमें स्वार्थी नहीं होना चाहिए।

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