Parishram Hi Dawa Hai | Online Hindi Moral Story for Kids - Easyshiksha

परिश्रम ही दवा है - Parishram Hi Dawa Hai | Hindi Moral Stories

एक चिकित्सक अपनी रामबाण चिकित्सा के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी दी हुई दवा से रोगी को लाभ अवश्य होता था। वे खुद भी स्वस्थ थे और असाध्य रोगों को भी ठीक कर देते थे। वे दिन भर लकड़ी काटने का काम करते और जंगल में रहते थे।

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एक दिन किसी असाध्य रोग से पीड़ित एक व्यक्ति ढूढते हुए उनके पास आया। उसने अपना रोग और पीड़ा उनसे बताई। उसका रोग जानकर चिकित्सक ने उसे वहीं पर एक महीने की दवा बना कर दी।

उसके सेवन की विधि में उन्होंने बताया कि इस दवा को अपने माथे के पसीने में मिलाकर लेप करना।उस व्यक्ति ने पूरे नियम से दवा का सेवन शुरू किया।

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माथे का पसीना निकालने में उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती। दवा ने अपना असर दिखाया और एक महीने वे महाशय रोगमुक्त हो गए।

एक माह बाद वे कुछ भेंट लेकर चिकित्सक को धन्यवाद देने पहुंचे। चिकित्सक ने भेंट लेने से मना कर दिया और उन सज्जन को बताया कि चमत्कार दवा से नहीं आपकी मेहनत से हुआ है। दवा में तो मैंने एक जंगली घास दी थी। जिसका कोई प्रभाव नहीं है।

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Moral of the story

यह कहानी सिखाती है कि मेहनत ही की रोगों की दवा है। इसलिए हमें मेहनत से नहीं घबराना चाहिए।

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