बौने और मोची की ज्ञानवर्धक कहानी - The Elves and the Shoemaker
एक छोटे से शहर में एक मोची (जूते बनाने वाला) रहता था। कुछ कारण वश वह बहुत ही गरीब हो चुका था और उसके पास नए जूते बनाने के लिए और चमड़ी भी बहुत कम था। उसके पास बस एक आख़िरी चमड़ी का टुकड़ा था।
वह मोची और उसकी पत्नी बहुत ही चिंतित थे क्योंकि उनके जीवन यापन के लिए बस जूते बनाने का रोज़गार ही एकमात्र साधन था। हर दिन की तरह मोची ने आख़िरी बार उस बचे चमड़ी के टुकड़े की कटाई की और वह अपने घर लौट गया। उसने सोचा अगले दिन सुबह वह जूता बनाएगा और उसे बेचेगा।
अगले दिन सुबह जब मोची अपनी दुकान पहुंचा तो वह देखकर आश्चर्यचकित रह गया क्योंकि उसके जूते बनाने की टेबल पर एक जोड़ी सुंदर जूते रखे हुए हैं। वह जूते इतनी सुंदर तरीके से बनाए गए थे जितना की उस मोची को भी अच्छे से बनाना नहीं आता था।
मोची बहुत खुश हुआ और उसने उस जूते को बाजार में बेचकर अच्छा पैसा कमाया। उसने उसमें से कुछ पैसों से घर के लिए खाने पीने का सामान लिया और बाकी बचे पैसों से, और चमड़ी ख़रीदा । पिछले दिन की तरह है मोची ने चमड़ी को जूतों के आकार में काट लिया और दुकान की टेबल में छोड़कर चला गया।
अगले दिन सुबह जब दोबारा मोची अपनी दुकान पहुंचा तो वह दोबारा आश्चर्यचकित रह गया क्योंकि उस दिन भी एक जोड़ी सुंदर जूते टेबल पर रखे हुए थे। मोची ने दोबारा बाजार में उन जूतों को बेच दिया और अच्छे पैसे कमाए। उस दिन भी कुछ पैसों से मोची ने घर के लिए अनाज ख़रीदा और बाकी बचे हुए पैसों से जूते बनाने के लिए चमड़ी ख़रीदा।
इस प्रकार प्रतिदिन मोची रात को चमड़ी काट कर अपनी दुकान के टेबल पर रख देता और सात को कोई आकर उनके लिए सुंदर जूते बना जाता है। धीरे-धीरे मोची के जीवन में सुधार आने लगा और कुछ ही महीनों में वह बहुत अमीर बन गया।
लेकिन तब भी मोची और उसकी पत्नी हमेशा सोच में रहते थे कि आखिर उनकी मदद करता कौन है? उस दिन मोची और उसकी पत्नी ने रात को दुकान में छुप कर उस व्यक्ति को देखने की योजना बनाई जो उनकी इतनी मदद करता था।
रात होने के बाद मोची और उसकी पत्नी दूकान में छुप गए। उन्होंने देखा आधी रात को 3 छोटे बौने खिड़की से कूद-कूद कर आये और उन्होंने हँसते खेलते चमड़ी से जूता बनाने का काम शुरू कर दिया। उन्होंने देखा कि कुछ ही समय में उन चमत्कारी बौनों ने एक जोड़ी सुंदर जूते बनाये और वह ख़ुशी-ख़ुशी खिड़की से कूद कर वापस चले गए।
उनके जाने के बाद मोची और उसकी पत्नी बाहर निकले और उन्होंने दिल ही दिल में उनके लिए शुक्रिया किया। क्रिसमस का त्यौहार पास था। मोची की पत्नी ने मोची से कहा – अजी सुनते हो वो बौनेहमारे लिए कितनी मदद करते हैं और आपने देखा कि उनके जुते फट गए हैं और ना ही उनके पास अच्छे कपडे हैं। क्यों ना मैं उनके लिए अच्छे कपड़े सिल दूँ और आप उन तीनों बौनों के लिए सुन्दर जूते बाना दो? यह सुन मोची बहुत खुश हुआ और दोनों काम में लग गए।
अगले दिन मोची ने उन तीनों बौनों के लिए सुंदर जूते बनाये और उसकी पत्नी ने सुंदर कपड़े सिल दिए। क्रिसमस का दिन आया, उस दिन भी रात को बौनेआये परन्तु उन्होंने देखा की टेबल पर जूता सिलने की जगह पर चमड़ी नहीं उनके लिए 3 जोड़ी सुंदर जूते और तीनों के लिए सुंदर कपड़े रखे हुए थे। तीनों ने जब यह देखा तो वह बहुत खुश हुए और उन्होंने नए जूतों और कपड़ों को पहना और कूद कर खिड़की से चले गए।
फिर वह कभी भी मोची की दूकान पर नहीं आये। परन्तु मोची दुखी नहीं था क्योंकि उन चमत्कारी बौनों ने उसके लिए बहुत कुछ किया था और अब मोची भी नए-नए डिज़ाइन के जूते बनाना सिख चूका था।
Moral of the story
मेहनत करने वाले व्यक्ति की मदद हमेशा भगवान करते हैं।
जो भी आपके सपने हों, कड़ी मेहनत आपके सपनों को पूरा करने में मदद करता हैं।
जो कोई भी आपकी मदद करे उसे शुक्रिया करने के लिए आप जो कर सकें करें।