Ekki Dokki | Moral Values | Online Hindi Story for Kids - Easyshiksha

एक्की दोक्की - Ekki Dokki | Hindi Moral Stories

एक गाँव में एक-केस-वाली और दोन-के-सवाली नाम की दो बहनें अपने अम्मा और बाबा के साथ रहती थीं. एक-केस-वाली के सिर पर एक ही बाल था. इसलिए उसे सब ‘एक्की’ (Ekki) बुलाया करते थे. दोन-के-सवाली के सिर पर दो बाल थे. इसलिए उसे सब ‘दोक्की’ (Dokki) बुलाया करते थे.

दोक्की के दो बालों के कारण उसकी माँ उसे दुनिया की सबसे सुंदर लड़की समझती थी और उसे बहुत प्यार करती थी. दोक्की को भी अपने दो बालों पर बड़ा घमंड था. इसलिए वह हर समय एक्की को नीचा दिखाया करती थी.

एक दिन एक्की लकड़ी बीनते-बीनते घने जंगल के बहुत अंदर चली गई. वहाँ बहुत सन्नाटा था. उस सन्नाटे में उसे एक आवाज़ सुनाई पड़ी, “मैं बहुत दिनों से प्यासी हूँ. कोई मुझे पानी पिला दो.”

एक्की ने अपने चारों ओर देखा. उसे कोई नज़र नहीं आया. कुछ देर बाद उसे फिर से वही आवाज़ सुनाई पड़ी, “कृपया कोई मुझ पानी पिला दो.”

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ध्यान से देखने पर एक्की को समझ आया कि पानी मांगने वाली और कोई नहीं, बल्कि एक मुरझाई हुई मेहंदी की झाड़ी है. पास ही एक झरना बह रहा था. एक्की वहाँ से वह चुल्लू में पानी भरकर लाई और मेहंदी की झाड़ी में डाल दिया. चार-पाँच बार ऐसा करके उसने मेहंदी की झाड़ी की प्यास बुझा दी.

मेहंदी की झाड़ी एक्की से बोली, “धन्यवाद एक्की! मैं तुम्हारा एहसान कभी नहीं भूलूंगी और तुम्हारे लिए अवश्य कुछ करूंगी.”

एक्की आगे बढ़ गई. कुछ दूर जाने पर उसे फिर से एक आवाज़ सुनाई पड़ी, “मुझे ज़ोरों की भूख लगी है. कोई मुझे कुछ खिलाकर मेरी भूख मिटा दो.”

एक्की ने आस-पास नज़र दौड़ाई, तो उसे एक पेड़ से बंधी दुबली-पतली गाय दिखाई पड़ी. एक्की ने घास-फूंस इकट्ठी की और गाय को खिलाकर उसकी भूख मिटा दी. साथ ही उसकी रस्सी खोलकरउसे आज़ाद कर दिया.

गाय ने भी एक्की का धन्यवाद किया. एक्की आगे बढ़ गई.

चलते-चलते उसे बहुत देर हो गई थी. वह थक गई थी. गर्मी के मौसम में उसका हाल बुरा हो रहा था. तभी उसे एक झोपड़ी दिखाई पड़ी.

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एक्की झोपड़ी के पास गई और दरवाज़ा खटखटाने लगी. एक बूढ़ी अम्मा ने दरवाज़ा खोला. एक्की को देखकर वह बोली, “आओ बेटी..अंदर आ जाओ. मैं बहुत देर से तुम्हारी बांट जोह रही हूँ.”

बूढ़ी अम्मा की बात मान एक्की झोपड़ी में अंदर आ गई. अंदर आकर एक्की ने कुछ देर आराम किया. फिर बूढ़ी अम्मा ने उसे एक तेल देकर बोली, “बेटी, इस तेल को अच्छी तरह अपने बालों में लगा लो. मैंने पानी भी गर्म कर दिया है. जाकर नहा लो.”

पहले तो एक्की शर्मायी, लेकिन फिर बूढ़ी अम्मा की बात मानकर नहाने चली गई. नहाकर आने के बाद जैसे ही एक्की ने अपने सिर से तौलिया हटाया, वह हैरान रह गई. उसके सिर पर बहुत सारे बाल आ गए थे. अपने बालों को देख वह बहुत ख़ुश हुई.

फिर उसने बूढ़ी अम्मा का बहुत धन्यवाद किया. खाना खाकर वह अपने घर ने लिए निकल गई.

रास्ते में उसे गाय ने मीठा दूध दिया और मेहंदी की झाड़ी ने उसे हाथों में रचाने के लिए मेहंदी दी. एक्की ख़ुशी-ख़ुशी घर पहुँची. घर पर सब उसके बालों को देखकर हैरान थे. दोक्की का जलन के मारे बुरा हाल था. उसने पूछा, तो एक्की ने जंगल का किस्सा उसे बता दिया.

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बिना देर किये दोक्की जंगल की ओर भागी. वह जल्दी से बूढ़ी अम्मा की झोपड़ी पहुँच जाना चाहती थी. वह इतनी तेज भाग रही थी कि उसने न मेहंदी की प्यासी झाड़ी की पुकार पर ध्यान दिया, न ही भूखी गाय की पुकार सुनी.

झोपड़ी पहुँचकर वह जोर-जोर से दरवाज़ा पीटने लगी. जब बूढ़ी अम्मा ने दरवाज़ा खोला, तो वह बोली, “ए बूढ़ी औरत, चल जल्दी से मेरे नहाने के लिए पानी तैयार कर.”

बूढ़ी अम्मा बोली, “पानी तैयार है. जाओ नहा लो.”

बिना देर किये दोक्की नहाने चली गई. लेकिन नहाकर आने के बाद जैसे ही उसने अपन सिर से तौलिया हटाया, वह चीख पड़ी. उके सिर के दो बाल भी झड़ चुके थे. वह जोर-जोर से रोने लगी और रोते-रोते ही घर की ओर चल पड़ी.

रास्ते में जब उसका सामना गाय से हुआ, तो गाय ने उसे सींग मार दी और जब वह मेहंदी की झाड़ी के पास से गुज़री, तो उसने अपने कांटे उसे गड़ा दिए. दोक्की को अपने बुरे व्यवहार का सबक मिल चुका था.

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उसके बाद से उसका व्यवहार बदल गया. वह एक्की के साथ प्रेमपूर्वक रहने लगी.

Moral of the story

१. सदा दूसरों से अच्छा व्यवहार करना चाहिए.

२. दूसरों की मदद करनी चाहिए.

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