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Ek Mahatvpurn Sabak | Online Hindi Moral Story for Kids - Easyshiksha

एक महत्वपूर्ण सबक - Ek Mahatvpurn Sabak | Hindi Moral Stories

भोरिया नगर में एक व्यापारी का परिवार रहता था। उस परिवार में दो भाई रहते थे। सौरभ बड़ा भाई और शुभम छोटा भाई था, जिसमें सौरभ की शादी हो चुकी थी। सौरभ की पत्नी अपूर्वा में एक बुरी आदत यह थी कि वह घर की हर बात अपने पड़ोसियों को बता दिया करती थी। इस बात को लेकर सौरभ बहुत परेशान रहा करता था।

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एक दिन उसने सोचा क्यों न अपूर्वा को सबक सीखा दिया जाये और उसने एक योजना बनाई। सौरभ ने अपूर्वा को बिना बताये अपने छोटे भाई शुभम को दुकान का सामान लेने शहर भेज दिया। योजना के अनुसार उसी रात उसने अपने घर के आंगन में गड्डा खोदकर उसमें एक मरा हुआ कुत्ता डाल दिया। जब सौरभ गड्डे को भर रहा था तभी अपूर्वा की नींद खुल गई।

उसने देखा कि उसका पति घर के आंगन में एक गड्डे को भर रहा हैं। उसने पास आकर धीरे से पूछा, “अजी ये क्या कर रहे हैं?”

सौरभ ने इशारा करते हुए कहा, “चुप रहो। मैंने छोटे भाई को जान से मार डाला है और उसकी लाश यहीं गाड दी है। अब यह पूरी दुकान और व्यापर हमारा है। यदि छोटा भाई होता तो हमें उसका हिस्सा देना पड़ता था। इसलिये उसे रास्ते से ही हटा दिया। यह बात तुम किसी से मत कहना।”

इतना कहकर सौरभ गड्डे की मिट्टी को बराबर करके घर में सोने के लिए चला गया।

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दूसरे दिन सुबह सौरभ दुकान में काम करने चला गया। अपूर्वा भी अपना घर का काम निपटाकर पड़ोस में बैठने चली गई। बात ही बात में उसने अपनी पडोसिन से कहा, “अरे सुन किसी से कहना मत, कल रात हमारे पति ने अपने छोटे भाई को जान से मार डाला।” यह बात शाम होते-होते पूरे गांव में फैल गई। पुलिस में भी किसी ने इस बात की सूचना दे दी।

शाम को जब सौरभ दुकान से लौटा तो देखा उसके घर पर चार पुलिस वाले खड़े हैं। उन्हें देखकर वह बिलकुल घबराया नहीं। पुलिस ने कडकदार आवाज में कहा, “हमें खबर मिली है कि तुमने छोटे भाई को जान से मार दिया है और उसकी लाश कहीं छिपा दी है।’”

यह सुनकर सौरभ बोला, “साहब भला मैं अपने भाई को जान से क्यों मारूंगा? कल ही मैंने उसे दुकान का सामान लेने शहर भेजा है। शायद वह अब आता ही होगा हा रात में मैंने आगर में एक गड्डा खोदा और उसमें एक मरा हुआ कुत्ता गाड़ दिया है। यह मैंने इसलिए किया क्योंकि मेरी पत्नी की एक बुरी आदत थी कि वह घर की जरा-सी बात को बाहर के लोगों को बता देती थी। उसकी आदत को सुधारने के लिये मैंने यह सब

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कुछ किया। ताकि इससे उसे सबक मिल जाय।” इतना कहकर सौरभ ते पोलिस को गड्डे के पास ले गया और खोद कर मरा हुआ कुत्ता दिखा दिया।

अपूर्वा ने सब के सामने अपने पति से क्षमा मांगते हुए कहा, “अब मैं भविष्य में कभी भी घर की बात बाहर नहीं कहूँगी।”

Moral of the story

Moral – घर की बाते हमेशा घर में ही रही तो अच्छी बात है।

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