दादी की पेंसिल - Dadi Ki Pencil | Hindi Moral Stories
रोहन अपने कमरे में उदास बैठा था| उसका इंग्लिश का एग्जाम बहुत खराब हुआ था| वह दुःखी था कि उसको बहुत कम मार्क्स मिलेंगे|
रोहन की दादी कमरे में आती हैं और रोहन को एक सुन्दर सी पेन्सिल गिफ्ट में देती हैं|
रोहन कहता है कि दादी मां मुझे ये पेन्सिल मत दो, मेरा एग्जाम तो खराब हुआ है इसलिए मुझे ये गिफ्ट नहीं चाहिए|
दादी मां कहती हैं – रोहन बेटा, ये पेन्सिल भी एकदम तुम्हारी तरह है| यह पेन्सिल तुमको बहुत कुछ सिखाएगी|
देखो जब यह पेन्सिल को छीला जाता है तो इसे भी ऐसे ही दर्द होता है जैसे अभी तुमको हो रहा है|
लेकिन पेन्सिल छिलने के बाद पहले से शॉर्प और अच्छी हो जाती है और उससे अच्छी लिखाई होती है| अब तुम भी आगे से बहुत मेहनत करोगे तो तुम भी पहले से ज्यादा होशियार और अच्छे बनोगे|
रोहन खुश होकर दादी की पेन्सिल रख लेता है|
Moral of the story
शिक्षा – मित्रों, पेन्सिल जब तक छिलती नहीं है तब तक उससे अच्छी लिखाई नहीं की जा सकती, वैसे ही इंसान को भी अच्छा बनने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ता है|
आपकी आज की कठिनाइयां कल के लिए एक बहुत बड़ा सबक हैं|