Chuhiya Ki Shaadi | Online Hindi Moral Story for Kids - Easyshiksha

चुहिया की शादी - Chuhiya ki Shaadi | Hindi Moral Stories

यह कहानी पंचतंत्र के संधि-विग्रह भाग पर आधारित है।

गंगा नदी के किनारे एक आश्रम था जहाँ पर योगी मुनि रहते थे। एक बार जब वह नदी में स्नान कर रहे थे, तभी उनके हाथों में ऊपर से एक चुहिया आ गिरी । उस चुहिया को आकाश मे बाज ले जा रहा था और बाज के पंजे से छूटकर वह नीचे गिर गई थी । मुनि को उस चुहिया पर दया आ गई। यह सोच कर की बाकि लोग उनपर हसेंगे, तो उन्होंने उस चुहिया को एक कन्या का रूप दे दिया और अपने आश्रम में अपनी बेटी की तरह ले आये । उनकी पत्नी ने भी कन्या बनी चुहिया का सत्कार किया।

no-image

क्यूंकि उनकी अपनी कोई सन्तान नहीं थी , इसलिए मुनि पत्नी ने उसका लालन पालन बडे प्रेम से किया । 18 वर्ष तक वह उनके आश्रम में रही और ज्ञान विद्या ग्रहण की।

जब वह विवाह योग्य अवस्था की हो गई तो पत्नी ने मुनि से उसके लिए एक काबिल वर ढूंढ़ने को कहा।

मुनि तुरंत मान गए और बोले की वह जल्दी ही अपनी इस अनोखी कन्या के लिए एक काबिल वर ढून्ढ निकालेंगे।

अगले ही दिन मुनि ने अपने तप से सूर्य देव की प्राथना की और उनके समक्ष अपनी कन्या से पूछा की क्या उसे सूर्यदेव अपने वर के रूप में स्वीकार हैं की नहीं।

कन्या ने उत्तर दिया —- “पिताजी ! यह तो सबको रौशनी देते हैं पर साथ ही यह बहुत गरम स्वाभाव के हैं, मुझे यह वर स्वीकार नहीं । इससे अच्छा कोई वर बताइये।”

no-image

मुनि ने सूर्यदेव से पूछा की वह अपने से अच्छा कोई वर बताये ।

सूर्यदेव ने कहा “मुझ सेअच्छे तो बादल हैं जो मुझे ढककर छिपा सकते हैं।”

मुनि ने फिर बदलों के राजा की प्राथना की और उनके सामने अपनी कन्या से पूछा “क्या बादलों के राजा तुम्हें अपने वर के रूप में स्वीकार हैं?”

इस बार कन्या ने कहा “यह तो बहुत काले और ठंडे है। इससे अच्छा कोई वर बताइये।”

मुनि ने बदलों के राजा से पूछा की उससे अच्छा कौन है।

बदलों के राजा ने कहा, “हम से अच्छी वायु है, जो हमें उडाकर किसी भी दिशा में ले जा सकती है”

मुनि ने वायु देवता को बुलाया और कन्या से फिर पुछा।

कन्या ने कहा —-” यह तो बहुत चंचल हैं और बार बार अपनी दिशा बदलते रहते हैं। इस से किसी अच्छे वर को बुलाइये।”

मुनि ने वायु देवता से पुछा की उनसे अच्छा कौन है तो वायु देवता ने कहा, “मुझ से अच्छा पर्वतराज है, जो बडी से बडी आाँधी में भी स्थिर रहता है।”

मुनि ने पर्वतराज को बुलाया तो कन्या ने फिर कहा—“यह तो बहुत कठोर और अचल है। इससे अच्छा कोई वर बताइये।”

मुनि ने पर्वतराज से पूछा की अपने से अच्छा कोई वर सुझाइये।

no-image

तब पर्वतराज ने कहा —- “मुझसे अच्छा तो चूहा है, जो मुझे तोडकर अपना बिल बना लेता है।”

मुनि ने तब चूहों के राजा को बुलाया और कन्या से फिर पूछा —- “अब तुम्हें यह मूषकराज स्वीकार हैं तो बताओ?”

मुनिकन्या ने मूषकराज को बडे ध्यान से देखा । वह प्रथम दृष्टि में ही वह उस पर मुग्ध हो गई थी और अंत: वह बोली “हाँ पिताजी, मुझे यह पसंद हैं “

मुनि ने अपने तपो बल से उसे फिर से चुहिया बना दिया और चूहे के साथ उसका विवाह कर दिया।

Moral of the story

Moral: पंचतंत्र की हर कहानी हमें जीवन को सही ढंग से जीने का पाठ पढ़ाती हैं.

इस कहानी से भी हमे यही सिख मिलती है की चाहे हम कितना भी बदल जाएँ हमारा मूल स्वभाव हमेशा एक सा रहता है।

Experience the Speed: Now Available on Mobile!

Download EasyShiksha Mobile Apps from Android Play Store, Apple App Store, Amazon App Store, and Jio STB.

Curious to learn more about EasyShiksha's services or need assistance?

Our team is always here to collaborate and address all your doubts.

Whatsapp Email Support