Chalak Bandar | Hindi Moral Stories
बहुत समय पहले की बात है/दूर-दराज एक घने जंगल के पास लम्बी और बहुत सुंदर सी नदी हुआ करती थी// नदी किनारे एक बहुत बड़ा हरा-भरा जामुन का पेड़ था जिस पर मीठे-मीठे रसीलेदार जामुन लगते थे// उस पेड़ पर एक गोल-मटोल सा शरारती बंदर भी रहता था जिसका नाम झंपू था// झंपू बस दिन-रात भरपेट जामुन खाता और मौज उड़ाता// वह अकेले ही मज़े में अपने दिन गुज़ार रहा था// एक दिन एक नीली आँखों वाला बड़ा सा मगरमच्छ उस नदी में तैरकर पेड़ के नीचे आया// झंपू ने उस्से पूछा "अरे! तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रहे हो"//उसके पूछने पर मगर ने जवाब दिया " मेरा नाम मोती है// इस नदी के पार मेरा घर है और मैं यहाँ खाने की तलाश में आया हूँ"// यह सुनने के बाद झंपू ने पेड़ से तोड़कर बहुत से मीठे फल मोती को खाने के लिए दिए// स्वादिष्ट फल खाकर मोती बहुत खुश हो गया// मोती हर रोज़ झपू से मिलने आता और पूरा दिन उसी के साथ बिताता// धारे-धीरे दोनों की दोस्ती बढ़ने लगी और वो जिगरी दोस्त बन गए// एक दिन बातों-बातों में मोती ने झंपू को बताया कि उसकी पत्नी भी है जो नदी के उस पार रहती है// तब झंपू ने पेड़ से बहुत से जामुन तोड़े और कहा
"ये फल तुम अपनी पत्नी के लिए ले जाओ// ये मेरी तरफ से उनके लिए उपहार है"//
यह देखकर मोती बहुत खुश हो गया और उसने झंपू से गले लगकर घर जाने के लिए विदा ली// झंपू द्वारा दिया गया उपहार लेकर वह अपने घर की ओर निकल पड़ा// घर पहुँचकर मोती ने मीठे-मीठे जामुन अपनी पत्नी को दिए जिन्हें खाकर वह बहुत खुश हुई// अब मोती हर रोज़ झंपू के पास आता/पेट भरकर जामुन खाता और कुछ फल अपनी पत्नी के लिए भी ले जाता// उसकी पत्नी को जामुन खाना तो पसंद था पर अपने पति का रोज़ देर से लौटना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था// एक दिन ईर्षा में आकर उसने अपने पति को कहा
"अगर तुम्हारा दोस्त रोज़ इतने मीठे फल खाता है तो उसका कलेजा कितना मीठा होगा/ मुझे उसका कलेजा खाना है"//
मोती के बहुत समझाने पर भी वह नहीं मानी// बेचारा मोती हैरान और परेशान था// वह अपने दोस्त को दुख नहीं पहुंचाना चाहता था और ना ही अपनी पत्नी को नाराज़ करना चाहता था// बहुत सोच विचार करने के बाद उसने एक युक्ति निकाली// वह अपने मित्र झंपू के पास गया और उससे कहा
"मित्र आज तुम मेरे साथ मेरे घर दावत पर चलो// आज हम दोनों साथ मिलकर भोजन करेंगे// आज मैं तुम्हें अपनी पत्नी के हाथ का स्वादिष्ट खाना खिलाऊंगा"//
यह सुनकर झंपू बहुत खुश हो गया और उसने कहा
"ठीक है मित्र मैं तुम्हारे साथ चलने को तैयार हूं/
परंतु मुझे तैरना नहीं आता
इस पर मोती ने कहा
"कोई बात नहीं तुम मेरी पीठ पर बैठ जाना और मैं तैरकर तुम्हें अपने घर ले जाऊंगा"//
यह सुनकर दोनों खुशी-खुशी मोती के घर जाने के लिए निकल पड़े// पानी गहरा होता चला गया और झंडू की घबराहट बढ़ने लगी// उससे अपने मित्रों को धीरे धीरे आगे बढ़ने के लिए कहा//अब चंपू और मोती बहुत ही गहरे पानी में थे उन दोनों के चारों ओर सिर्फ और सिर्फ पानी ही नजर आ रहा था// मौका देखकर मोदी ने झमकू को कहा//
"मित्र मैं तुमसे माफी चाहता हूं कि मैं तुम्हें झूठ बोलकर यहां तक लेकर आया // वो दरअसल बात यह है कि मेरी पत्नी ने मुझे कहा कि तुम्हारा मित्र सुबह शाम मीठे मीठे जामुन खाता है इसलिए उसका कलेजा बहुत मीठा होगा मेरी पत्नी तुम्हारा कलेजा खाना चाहती है// मित्र मुझे माफ कर देना परंतु मुझे अपनी पत्नी की बात माननी ही पड़ेगी//
यह सुनकर झंपू के होश उड़ गए और वह डर से कांप उठा// परंतु चंपू हार मानने वालों में से नहीं था//उसने अपनी बुद्धि का प्रयोग किया और समस्या का समाधान निकाला// उसने मोती को कहा
अरे/ बस इतनी सी बात// तुम मुझे पहले बता देते तो मैं अपना कलेजा साथ लेकर आ जाता// तुम्हारी पत्नी ने बिल्कुल ठीक कहा मेरा कलेजा जामुन खा खाकर बहुत ही मीठा हो गया है इसलिए मैं उसे पेड़ के तने में छुपा कर रखता हूं//एक काम करते हैं हम दोनों वापस चलते हैं और मैं पेड़ से अपना कलेजा लेकर आता हूँ फिर हम दोनों तुम्हारे घर चलेंगे"//
यह सुनकर मोती अत्यंत प्रसन्न हो गया और वे दोनों वापस किनारे की ओर चल पड़े// जैसे ही मोती और झंपू किनारे पर पहुंचे झंपू तुरंत कूदकर पेड़ की टहनी पर बैठ गया//
बहुत समय बीतने के बाद मोती ने झंपू को आवाज लगाई और पूछा
कहां हो मित्र/ इतनी देर क्यों लग रही है कलेजा लाने में//
तब झमकू हंसने लगा और उसने मोती से बोला//
"जाओ मूर्ख राजा// अपने घर जाओ// जाकर अपनी पत्नी से कहना कि तुम दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हो// कभी देखा है किसी को अपना कलेजा निकालकर अलग रखते हुए"
यह सुनकर मोती निराश हुआ और अपने घर वापस चला गया// तो बच्चों झंपू की समझदारी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मुसीबत के समय में हमें कभी भी धैर्य नहीं खोना चाहिए और अपने मित्रों का चयन समझदारी से करना चाहिए