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Bander Aur Chidiya | Online Hindi Moral Story for Kids - Easyshiksha

बंदर और चिड़िया | Bander Aur Chidiya | Hindi Moral Stories

यह कहानी पंचतंत्र के मित्रभेद भाग पर आधारित है।

एक घने जंगल के वृक्ष की शाखाओं पर चिड़ा-चिडी़ का एक जोड़ा रहता था। अपने घोंसले में दोनों बड़े सुख और आराम से जीवन व्यतीत कर रहे थे।

जब सर्दियों का मौसम आया तो एक दिन बहुत ही ठंडी हवा चलने लगी और साथ में हलकी हलकी बारिश भी शुरु हो गई। उसी समय एक बन्दर ठण्ड और बारिश से ठिठुरता हुआ उस वृक्ष की शाखा पर शरण लेने आ पहुंचा।

ठंड के मारे उसके दांत कटकटा रहे थे और वह गर्मी लेने के लिए जोर जोर से हाथों को रगड़ रहा था।

उसे देखकर चिड़िया ने कहा “कौन हो तुम? देखने में तो तुम्हारा चेहरा आदमियों जैसा है, तुम्हारे हाथ पैर भी हैं। फिर भी तुम यहाँ बैठे हो, कहीं अपना घर बनाकर क्यों नहीं रहते?”

बन्दर बोला “आरी ओ चिड़िया , मैंने तुम से कोई सलाह मांगी है क्या? तुम अपना काम करो और मुझे व्यर्थ तंग ना करो। “

मगर चिड़िया चुप न हुई और उसने फिर कहा “अगर मैं तुम्हारी जगह होती तो अपने लिए एक आलीशान घर बनाती और मज्जे से वहां रहती”

बन्दर ने उसे एक बार फिर घुर्र कर देखा और चुप रहने को कहा।

चिड़िया फिर भी कुछ न कुछ बोलती रही जिस से बन्दर पूरी तरह चिड़ गया। क्रोध में आकर बन्दर ने चिड़िया के घोंसले को तोड़-फोड़ डाला जिसमें चिड़िया अपने परिवार के साथ ख़ुशी से रहती थी।

Moral of the story

Moral: पंचतंत्र की हर कहानी जीवन को सही तरह से जीने का पढाती है।

इस कहानी से भी हमे यह शिक्षा मिलती है की हमें हर किसी को उपदेश नहीं देना चाहिये। किसी मूर्ख को दी गयी शिक्षा का फल कई बार उल्टा निकल सकता है।

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