चुनमुन मैना
बड़े सवेरे सूरज के संग
नीम पेड़ पर आकर बैठी,
टहनी-टहनी चहक-चहककर
उड़ती-फिरती ऐंठी-ऐंठी।
घर आंगन और चौबारे पर
चुनमुन मैना दाने चुगती,
और कभी नानी मां के संग
हर पल नई कहानी बुनती।
कितने सारे गीत सुनाती,
फुदक-फुदककर मैना रानी
सरगम के सातों सुर गाती
सा रे गा मा पा धानी।
सांझ ढले फिर सूरज के संग
लौट घोंसले में वह जाती,
कल आने का वादा करके
सपने सलोने दे जाती।