Our Little River | Online Hindi Poem for Class 5 Students - Easyshiksha

छोटी सी हमारी नदी

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छोटी-सी हमारी नदी टेढ़ी मेढ़ी धार,

गर्मियों में घुटने भर भिगों कर जाते पार |

पार जाते ढोर-डंगर , बैलगाड़ी चालू ,

ऊँचे हैं किनारे इसके, पाट इसका ढालू |



पेटे में झकाझक बालू कीचड़ का न नाम,

काँस फूले एक पार ऊजले जैसे धाम |

दिन भर किचपिच-किचपिच करती मैना डार-डार,

रातों को हुआँ-हुआँ कर उठते सियार |



अमराई दूजे किनारे और ताड़-वन,

छाँहों-छाँहों बाम्हन टोला बसा है सघन |

कच्चे-बच्चे धार-कछारों पर उछल नहा लें,

गमछों-गमछों पानी भर-भर अंग-अंग पर ढालें |



कभी-कभी वे साँझ-सकारे निबटा कर नहाना,

छोटी-छोटी मछली मारें आँचल का कर छाना |

बहुएँ लोटे-थाल माँजती रगड़-रगड़ कर रेती,

कपड़े धोतीं, घर के कामों के लिए चल देती |



जैसे ही आषाढ़ बरसता, भर नदिया उतराती,

मतवाली-सी छूटी चलती तेज धार दन्नाति |

वेग और कलकल के मारे उठता है कोलाहल,

गँदले जल में घिरनी-भँवरी भँवराती है चंचल |

दोनों पारों के वन-वन में मच जाता है रोला,

वर्षां के उत्सव में सारा जग उठता है टोला |

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