जीवन और हम
जीवन में असफलताओं को
करो स्वीकार,
मत होना निराश
इससे होगा।
वास्तविकता का अहसास,
समय कितना भी विपरीत हो
मत डरना,
साहस और भाग्य पर।
रखना विश्वास,
अपने पौरुष को कर जाग्रत
धैर्य एवं साहस से,
करना प्रतीक्षा सफलता की।
पौरुष दर्पण है,
भाग्य है उसका प्रतिबिंब
दोनों का समन्वय बनेगा,
सफलता का आधार।