बुद्धिमान कहलाता है
मिले फूल से फूल तो.
गुलदस्ता बन जाता है।
ईंट से ईंट जुड़े तो देखो,
सुन्दर घर बन जाता है।।
छोटी-छोटी जल की बूंदें,
सागर बन लहराती हैं।
मिट्टी के कण-कण से ही,
यह पृथ्वी बन जाती है।।
पल-पल छोटा लगता है पर,
इससे युग बन जाता है।
पल-पल का जो मोल समझता,
बुद्धिमान कहलाता हैं।।