बिल्ली के गले में घंटी कहानी | Billii Ke Gale Mein Ghanti | រឿងរ៉ាវអំពីគ្រែហិណ្ឌូ
एक शहर में एक बहुत बड़ा मकान था. उस मकान में चूहों ने डेरा जमा रखा था. जब भी मौका मिलता वे अपने-अपने बिलों से निकलते और कभी खाने की चीज़ों पर अपना हाथ साफ़ करते, तयो की भ कुतर देते. उनका जीवन बड़े मज़े से बीत रहा था.
इधर मकान मालिक चूहों से तंग आ चुका था ។ इसलिए वह एक बड़ी सी बिल्ली ले आया. अब वह बिल्ली उसी घर में रहने लगी ។ बिल्ली के आने से चूहों का जीना हराम हो गया. जो भी चूहा बिल से निकलता, वह उसे चट कर जाती.
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चूहों का बिलों से निकलना मुश्किल हो गया. वे डर के मारे बिल में ही घुसे रहते. बिल्ली उनके लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गई थी ។ इसलिए एक दिन चूहों की सभा बुलाई गई ។
सभा में सभी चूहे उपस्थित हुए. लीडर चूहे ने कहा, “साथियों, आप सब जानते ही हैं कि हम लोग बिल्ली हमारे लिए आफत बन गईै. वह रोज़ हमारे किसी न किसी साथी को मारकर खा जाती है. बिलों से निकलना मुश्किल हो गया है. लेकिन हम कब तक बिल में छुपकर रहेंगे ។ भोजन की खोज में हमें बिल से बाहर निकलना ही होगा ។ यह सभा इसलिए बुलाई ई है, ताकि इस समस्या को हल किया जा सके. आप एक-एक कर अपने सुझाव दे सकते हैं ។
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एक-एक कर सभी चूहों से इस सुझाव दिए. अंत में एक चूहा उठा और चहकते हुए बोला, “मेरी दिमाग में अभी-अभी एक बहुत ही बढ़िया उपाय आ. क्यों न हम बिल्ली के गले में एक घंटी बांध दें? बिल्ली जब भी आस-पास होगी, घंटी की आवाज़ से हमें पता चल जायेगा និង हम वहाँ से भाग जायेंगे ។ कहो कैसा लगा उपाय ?” सारे चूहों को ये उपाय बहुत पसंद आया. वे ख़ुशी में नाचने और झूमने लगे.
तभी एक बूढ़ा और अनुभवी चूहा ।।। घंटी कौन बांधेगा?”
ये सुनना था कि चूहों का नाचना-गाना बंद हो गया. बिल्ली के गले में घंटी बांधना अपनी जान से हाथ धोना था. कोई इसके लिए तैयार नहीं हुआ ។ सब चुप गए. तभी उन्हें बिल्ली के कदमों की आहट सुनाई पड़ी និង फिर क्या था? सब सिर पर पैर रखकर अपने-अपने बिलों की ओर भाग खड़े हुए.
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សុជីវធម៌ (សុជីវធម៌)
“योजना बनाने का कोई लाभ नहीं, यदि उसे लागू न किया जा सके ។